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इक मेरा मोहब्बत के सिवा कुछ खता नहीं।

            गजल 

इक मेरा मोहब्बत के सिवा कुछ खता नही।
उसकाए सितम का कोई हुनर भी बचा नही।

जो बात मेरे दिल में थी वह भी समझ गए।
 मैंने मगर जुबान से कुछ भी कहा नहीं ।।

देखो हर एक शख्स को कितना हंसा दिया ।
यह उसकी खासियत है कि वह खुद हँसा नहीं।

जिसने कर दिया है खुद इंसानियत का कत्ल।
इल्जाम मगर उस पर अभी तक लगा नहीं।।

मुझको तो कैद कर लिया हालात ने  सगीर।
वरना मैं अपनी जात से खुद बेवफा नहीं।।

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2 Comments

Miss Lipsa

01-Sep-2021 09:02 PM

Badhiyaaa

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

01-Sep-2021 07:23 PM

🙏🌷

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